मैंने जैसे ही उसका साथ छोड़ा ….. उसके बदनाम रिश्ते का अंत वैसे ही धीरे-धीरे होने लगा । भला बदनाम रिश्तों की भी कभी कोई उम्र हुआ करती है ? ~ प्रवीण गोला
Category Archives: अति लघु कहानियां
Teacher’s Day
हथेली पे खाये उन डस्टरों की मार, अब जैसे सुकून देती है, शुक्रिया, तूने मेरे हाथों की लकीरें उभार दी !!
‘Mother’s Day’
11:55 घड़ी में समय हो रहा था, ‘Facebook’ खोला तो पता चला आज ‘Mother’s Day’ है, एक हाँथ में रिमोट थाम दूसरे हाँथ से, ‘Happy Mother’s Day’ लिख के माँ को ‘message’ कर दिया, ‘Technology’ भी भाई कमाल की चीज है, 1 रुपए और चंद अक्षरों ने ‘9’ महीने के कष्ट को बराबर कर…
Malnutrition free Diwali
‘जले हाँथों’ से ‘जली रोटियाँ’ खाने में भी कोई स्वाद होता होगा, ‘पटाखों के कारखानों’ के अंदर यूँ ही भूखे पेट कोई काम नहीं करता।।
‘Backspace’ बटन
मेरे फ़ोन की उस हिंदी ‘keyboard’ के ‘Backspace’ बटन की, अपनी एक अनोखी कहानी है, ख्यालों को शब्दों में ढालने से ज्यादा, उसने आवारा अक्षरों को ख़याल बनने से रोका है।।
सरहद की पहरेदारी
‘लालटेन’ सी रोशनी में भी’वो’ सरहद पे पहरेदारी करता है, बस इस ख्याल में की, कहीं किसी आँगन में रोशनी,हँसी, ख़ुशी और सुकून आपस में गप्पे लड़ाती होंगी।।
गरीब और आसमान
“आप आसमान को गरीबों तक नहीं पहुंचा सकते, नहीं तो गरीब तो नीचे रह ही जायेगा; …आसमान भी नीचे आ के गरीब हो जायेगा।”
आखिरी बार
“मैं आखिरी बार पीछे मुड़ कर देखने वालों मे से नहीं हूं। मैं आखिर तक पीछे देखूँगा, क्या पता वो आखिरी बार मुड़ कर देख ले!”
सच्चा प्रेम
कभी 5 इंच की स्क्रीन पर उंगलियों को कसरत कराने से फुर्सत मिले तो आखों से पैगाम भेज कर देखना, लाजवाब होते हैं वो पैगाम जिनके जवाब इशारों में आते हैं|
‘शार्टकट’ का सुकून
तकदीर की उंगली थाम, निकल पड़ते हैं मेहनत की राह पर गरीबों के बच्चे, इनके नसीब में ‘शार्टकट’ का सुकून नहीं होता!